नयी आर्थिक नीति में संयुत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की प्रासंगिकता
डॉ0 रईस अहमद
ग्रामीण पृष्ठभूमि, स्थानीय संवेदनाओं, ग्रामीण समस्याओं के प्रति संवेदनशील, कम लागत वाले क्षेत्र पर आधारित ग्राम उन्मुख वाणिज्यिक कार्य वाले बैंक/संस्थान प्रारम्भ किये जाने चाहिए। ऐसे संस्थान लघु-सीमान्त व भूमिहीन कृषकों, मजदूरों, ग्रामीणों, दस्तकारों, लघु व्यापारियों एवं ग्रामीण समाज के आर्थिक रूप से विपन्न लोगों को उत्पादक ऋण व एक सीमा तक उपभोग ऋण देंगे और संसाधनों का उपयोग करते हुए क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करेंगे ।
डॉ0 रईस अहमद. नयी आर्थिक नीति में संयुत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की प्रासंगिकता. Int J Finance Manage Econ 2022;5(2):65-68. DOI: 10.33545/26179210.2022.v5.i2.148